जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में यूपीआई सिस्टम शुरू, अब किसानों को मिलेगा भीड़ से छुटकारा**किसान अब घर बैठे ही अन्य बैंक खातों ट्रांसफर कर सकेंगे**धान की राशि लेने के लिए किसानों को नहीं लगाना पड़ेगा बैंक का चक्कर**पाटन जनपद सदस्य खिलेश मारकंडे ने मुख्यमंत्री भुपेश बघेल व जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष जवाहर वर्मा का आभार माना*
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*जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में यूपीआई सिस्टम शुरू, अब किसानों को मिलेगा भीड़ से छुटकारा*
*किसान अब घर बैठे ही अन्य बैंक खातों ट्रांसफर कर सकेंगे*
*धान की राशि लेने के लिए किसानों को नहीं लगाना पड़ेगा बैंक का चक्कर*
*पाटन जनपद सदस्य खिलेश मारकंडे ने मुख्यमंत्री भुपेश बघेल व जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक दुर्ग के अध्यक्ष जवाहर वर्मा का आभार माना*
*सेलूद***शासन के द्वारा किसानों को एक मात्र बैंक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के माध्यम से ही खरीफ में बेचे गए धान की राशि वा अंतर राशि दी जाती है डिजिटल दुनिया में भी यह बैंक पूर्व में अन्य बैंकों की सुविधाओं की अपेक्षा काफी पिछड़ा हुआ था जिसके कारण धान का बोनस की राशि प्राप्त करने के लिए किसानों को लंबी लाइन लगानी पड़ती थी कई बार तो रात जगना भी करना पड़ता था अब जिला सहकारी बैंक में भी अन्य बैंकों की तरह नेट बैंकिंग वा यूपीआई की सुविधा शुरू करने से एटीएम कार्ड धारी किसानों को बैंक की भीड़ से छुटकारा मिलेगा जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के खाताधारकों के लिए 2 जून से बैंक की ओर से एक बड़ी सुविधा शुरू की गई है सभी एंड्रायड मोबाइल धारकों के मोबाइल में अक्सर उपयोग होने वाली यूपीआई की सुविधा शुरू की गई है इसके माध्यम से किसान अपने बैंक खाते से किसी भी खाते में पेटीएम, फोन पे, गूगल पे, अमेजन पे, के माध्यम से राशि स्थानांतरण कर किसी भी विक्रेता को आसानी से घर बैठे मोबाइल के माध्यम से ऑनलाइन भुगतान कर सकते हैं इसके अलावा खाताधारकों को नेट बैंकिंग की भी सुविधा दी गई है ऐसे में अब युवा किसान व एटीएम कार्ड धारी किसानों को धान की राशि आहरण करने के लिए बैंक का चक्कर लगाना नहीं पड़ेगा वह घर बैठे ही मोबाइल से ऑनलाइन ट्रांसफर व खरीददारी भुगतान कर सकेंगे यह सुविधा पूर्व में अन्य बैंकों के द्वारा ही दी जा रही थी लेकिन अब सरकारी बैंकों में भी लागू होने से बैंक की उपभोक्ताओं व किसानों को इसका सीधा लाभ मिलेगा यूपीआई एटीएम व नेट बैंकिंग की सुविधाओं के अभाव में किसान अपने धान की राशि पाने के लिए सुबह से ही बैंकों में लंबी लाइनें लगाते थे कई बार तो अधिक भीड़ के कारण नंबर भी नहीं आता था और राशि के लिए अगले दिन का इंतजार करना पड़ता था*
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